शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

THIS IS DEDICATED TO MY BROTHER DEEPAK AND SISTER-IN-LAW DIYA


सागर में मोती कोई खोज न पायें,
आपके चेहरे पर  कभी उदासी न छाये!!

जीवन की अभिलाषा ही मेरी पहचान है,
आपके सपनो को मिले मंजिल यही मेरी दुओं की उड़ान है!!

सोच का सागर गहराता है,
बस आपको देख मन हमेशा मुस्कुराता है!!
ये कैसा संयोग है दीपक का दिया से ,
यही सोच मन का सागर लहराता है!!
ख़ुशी में हम क्या दुआ देंगे,
दुःख न मिले कभी ऐसा एक पता देंगे!!

कभी घूम क आना प्यार के सागर में ,
जहाँ अपनों के साथ मिलेंगे!!



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें